Friday, 13 July 2018

शिक्षित बेरोजगार

                                शिक्षित बेरोजगार

        “शिक्षित बेरोजगार” अपने आप में ही बहुत अजीब शब्द है। क्योंकि पहले लोग कहते थे कि भई पढोगे नहीं तो कहीं भी अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी। परंतु अब तो जो बेचारे अच्छे पढ़े-लिखे है उन्हें भी नौकरी कहाँ मिल पाती है। आज के युवा वृग के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है। जिसका समाधान दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहा है।माँ-बाप अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर न जाने कितना खर्चा करते है, कर्जा लेते है कि उनका बच्चा पढ़-लिख कर अच्छी नौकरी पर लग जाए। लेकिन वास्तव में होता क्या है वो नौजवान हाथों में अपनी डिगरियाँ लेकर इधर-उधर धक्के खा रहे होते है। सच मानिए यह बहुत दुभ्राग्य पूणृ बात है कि एक नौजवान जो कि योग्य है, पढ़ा-लिखा है, परंतु उसके पास रोजगार नहीं है। यह बहुत भयानक सि्थति है। हमारे देश की। हर दूसरा पढ़ा-लिखा नौजवान आज बेकार घूम रहा है। या हालात से समझौता करके कोई न कोई काम पर लगा हुआ है। 
         मै यह नहीं कहती कि कोई काम छोटा होता है। जो काम आपको और आपके परिवार को दो वक्त की रोटी दे रहा है वह सम्मान योग्य है। मेहनत से कमाई रोटी हमेशा सम्मानिय है। चाहे काम कोई भी हो पर सही होना चाहिये। पर आप सोचिये एक इंसान जो सारी उम्र दिल लगा कर पढ़ता है ,और उसे नौकरी न मिले तो क्या होगा। क्योंकि सभी हालात से समझोता नहीं कर पाते। आक्रोश या गुस्से में गलत काम करने लगते है।
      कभी आपने सोचा है कि इसके कारण क्या है, और इसके परिणाम कितने भयंकर निकल सकते है। यह नौजवान हमारे देश का भविष्य है, और अगर यह गलत रास्ते पर निकल पड़े तो देश का क्या होगा।
     सबसे पहले हम इसके कारणों पर रोशनी डालते है। मेरा मानना है कि इसका सबसे बड़ा व अहम् कारण बड़ती हुई जनसंख्या है।
आज जब कोई किसी नौकरी के इंटरवयू पर जाए तो पता लगता है कि एक नौकरी के लिये हज़ारो उम्मीदवार है और उनमें से किसी एक को नौकरी मिलेगी।

दूसरा मशीनों का अधिक प्रयोग होने के कारण लोगों का रोजगार खत्म हो जाता है। 
और परिणाम तो इसके बहुत ही भयानक निकलते है
क्योंकि कहा जाता है की खाली दिमाग, शैतान का दिमाग होता है। बेरोजगारी के कारण पहले ही वह हताश होते है साथ में मँहगाई। जिस कारण वह जल्द ही गलत बहकावे में आ जाते है और गलत रास्तों पर निकल पड़ते है।
आप ध्यान दें जितने भी अपराधी होते है वह अधिकतर नौजवान होते है।
अपनी कुण्ठा, गुस्सा वो समाज के प्रति ऐसे निकालते है।
    सरकार को जरूर इसके लिऐ कुछ सोचना चाहिए । रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिऐ। जिससे हमारे नौजवान भटक न पाये।

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