भाग - 1 "आखरी कॉल"
रात के 12:47 बजे आर्या का फोन अचानक बज उठा।
स्क्रीन पर सिर्फ़ इतना लिखा था —
“Private Number Calling…”
आर्या ने सोचा किसी ने मज़ाक में कॉल कर दिया होगा, पर फोन उठाते ही सामने से एक धीमी, काँपती हुई आवाज़ आई—
“अगर अपनी जान प्यारी है… तो खिड़की से बाहर मत देखना।”
आर्या के हाथ ठंडे पड़ गए।
वह अपने छोटे से रूम में अकेली थी।
बाहर हवा की आवाज़ें और भी डरावनी लगने लगीं।
उसी समय, दूसरी तरफ़ वही आवाज़ फिर बोली—
“और हाँ… तुम मुझे नहीं जानती।
लेकिन कोई तुम्हें बहुत ध्यान से देख रहा है।”
आर्या घबरा गई।
उसने हिम्मत करके पूछा—
“कौन…? क्या चाहता है तुमसे?”
फोन पर कुछ सेकंड की खामोशी…
फिर एक सांस की आवाज़…
“बस 30 सेकंड में… तुम्हारी खिड़की पर दस्तक होगी।”
आर्या का दिल तेजी से धड़कने लगा।
उसे लगा कॉल काट दे, पर उंगलियाँ सुन्न हो गई थीं।
30 सेकंड पूरे भी नहीं हुए थे कि—
टुक-टुक-टुक…
किसी ने जोर से खिड़की पर दस्तक दी।
आर्या डर के मारे जमीन पर बैठ गई।
फोन अभी भी उसके हाथ में था।
फिर कॉल पर वही आवाज़ फिर आई—
“मत खोलना… बस सुनती रहना।”
दस्तक और तेज़ हो गई।
आर्या ने कांपती आवाज़ में पूछा—
“तुम हो कौन?”
सामने से जवाब आया—
“मैं तुम्हें बचाने की कोशिश कर रहा हूँ… क्योंकि आज रात कोई और नहीं करेगा।”
आर्या ने कांपते हुए पूछा—
“खिड़की पर कौन है?”
अचानक कॉल कट गई।
कमरे में सन्नाटा।
दस्तक बंद।
आर्या ने डरते-डरते खिड़की की ओर देखा।
उसे लगा कोई खड़ा होगा…
लेकिन खिड़की अंदर से थोड़ा खुला हुआ था —
और खिड़की पर एक छोटा नोट फँसा हुआ था।
नोट पर लिखा था—
“धन्यवाद… तुमने खिड़की नहीं खोली।
उस तरफ़ मैं खड़ा था।”
डरते-डरते उसने नोट को पलटा।
पीछे लाल स्याही में दो लाइनें टेढ़े-मेढ़े अक्षरों में लिखी थीं—
“मैं तुम्हें पहले से देख रहा था…
और ये तो बस शुरुआत है।”
आर्या का दिल जैसे रुक गया।
कमरे की लाइट अचानक टिमटिमाने लगी।
परछाइयाँ बड़ी होती गईं, सन्नाटा और गहरा।
उसी पल, उसके कमरे के कोने से
किसी के सांस लेने की बेहद धीमी आवाज़ आई।
आर्या सख़्त हो गई।
उसने काँपती हुई आवाज़ में पूछा—
“क-कौन है वहाँ…?”
अगले ही सेकंड,
अंधेरे में किसी ने फुसफुसाकर कहा—
आर्या अपनी जगह पर जड़ हो गई।
—To Be Continued…
आप भी यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि...
“ फोन किसने किया था?”
“बाहर खड़ा आदमी आखिर कौन था?”
"और कौन उसे बचा रहा था"
✨ यह सब जानने के लिये पढ़े इस कहानी का दूसरा भाग, इसलिए बने रहे हमारे ब्लॉग में
धन्यवाद।

Bht acha agla part kab aayega?
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