नमस्कार दोस्तों,
आज मैं एक ऐसी कहानी आप सब के आगे लेकर आई हू जो की है तो साधारण सी लेकिन है प्रभावशाली। मेरा तो यही मानना है आगे आप पढ़ कर देखे की आप क्या महसूस करते है। तो आते है अपनी कहानी पर.....
एक बार की बात है लक्ष्मी काम से बाहर गयी। वह एक ग्रहणी है और उसकी आयु 50 वर्ष है। वह बाज़ार से निकल कर मेट्रो स्टेशन जा रही थी। तभी उसने महसूस किया की उसके बगल में एक 22-23 साल की लड़की भी चल रही थी। लेकिन वह बाहुत ही uncomfortable थी। दिखने में अच्छी घर की साधारण सी लड़की लग रही थी। वहां तो मैने ज्यादा धयान नहीं दिया। और मैने मेट्रो स्टेशन में entry ले ली। वह भी मेरे साथ ही मेट्रो स्टेशन में प्रवेश कर गयी।
अब भी वह uncomfortable लग रही थी मुझे थोड़ा अजीब लगा मैने इधर-उधर नजर दौड़ा कर देखा तो देखा 2-3 मंचले उसे बाज़ार से ही परेशान कर रहे थे। अब सारा मामला मुझे समझ आ गया। लेकिन मुझे यह नहीं कभी समझ आया की ऐसे में कोई मदद के लिए सामने क्यों नहीं आता। खैर मैने भी कुछ समय तक observe किया। और मुझे सच में लगा की वह बहुत परेशान है और वो उसे लगातार परेशान किये जा रहे है।
मैंने बहुत सोचा कि मैं उसकी मदद कैसे करूँ लोगों को जमा करूँ और उनकी पिटाई कराऊं, फिर ख्याल आया की कल को येह मुझे मिल गये तो मेरी मदद कौन करेगा। फिर यह भी ख्याल आया कि कल को मेरी बहन या बेटी को कभी यह परेशानी हुई तो उसकी भी कोई मदद नहीं करेगा। यह ख्याल मन मे आते हि मैंने मदद करने की सोच ली।
अब मैं यह सोच रही थी कि कैसे मदद की जाए मैं कोई इतनी फुर्तीली नहीं थी की उनसे लड़ने लग जाऊ। फिर मैने सोचा कि हर बार लड़ना जरूरी नहीं है, दिमाग़ भी लगाया जा सकता है। क्योंकि हर लड़ाई बल से नहीं दिमाग़ से भी जीती जा सकती है। बस मैंने तरीका सोच लिया।
मैंने चारो ओर फिर देखा वही नज़ारा था। मैंने हिम्मत इकठी की और जोर से उस लड़की की ओर चिल्लाती हुई गयी और कहने लगी...
"अरे बेटा यहाँ क्या कर रही हो। क्या बात है बहुत दिन हो गये , चाची से मिलने नहीं आई, क्या चाची की याद नहीं आती। मैं तुझ से बहुत नाराज़ हू। बस मैं बे मतलब उस से नाराजगी, दिखाती रही और गुस्सा होती रही। इस बीच मैने उस लड़की को आँख भी मार दी थी। उसे भी समझ आ गया था तभी वो भी साथ देने लगी। हमारे इस धमाकेदार मिलन में हम इतना busy हो गये की हमने धयान नहीं दिया की वह मेरी तेज़ तेज़ आवाज़ सुन कर और यह जानकर की वह अकेली नहीं है वो लड़के कबके वहा से चले गये।
जब उस लड़की को लगा सब ठीक है उसने मुझे बहुत - बहुत और बार - बार धन्यवाद किया और कहा की," अगर आज आप नहीं होते तो मेरे लिए बड़ा मुश्किल हो जाता। हमने एक दूसरे का नाम पूछा थोड़ी देर बैठ कर बाते की, चाय पी और अपने-अपने रास्ते चल पड़े। मेरे मन में तसल्ली थी कि वो अब सही थी।
और दोस्तों यहां कहानी का अंत होता है। अब मैं आपसे एक बात पूछना चाहती हूं कि क्या आपने कभी याह situation face की है या नहीं। अगर आप भी करे तो मेरा मानना है कि आप को भी इन हालतों में मदद करनी चाहिए। कभी टाइम पूछने के बहाने, कभी रास्ता पूछने के बहाने, स्थिति को बदलने की कोशिश करनी चाहिए और अगर स्थिति अधिक खराब हो तो लोगों को साथ लेकर मदद करनी चाहिए। और हमेशा यह याद रखो कि आप सुपरहीरो नहीं हो लेकिन सबके पास सुपर दिमाग़ तो है उसका इस्तेमाल करें।
आगे कहानी समाप्त होती है अपने विचार या ऐसा कोई अनुभव आपको भी हुआ हो तो जरूर Share कीजिएगा हमारे साथ।

Superhero writer❤️
ReplyDeleteWow
ReplyDeleteGreat story keep it up
ReplyDeleteDamnnnn
ReplyDeleteBahut achi kahavat hai mummy❤️
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