Wednesday, 11 April 2018

काश

काश इस जहां से दुख दूर हो जाए।
ये जहां जन्नत हो जाए।।
न मिले किसी को गम।
मिले खुशी ही खुशी।।
काश इस ……….
कहते है यह सुख-दुख है।
अपने ही करमों की देन।।
जैसा करोगे, वैसा भरोगे।
न बच पाओगे अपने करमों से।।
पर बहुत पीड़ा होती है, देख बच्चों का दुख।
जब वह बुनियादी जरूरतों के लिए तड़पते है।।
काश इस………..
काश ऊपर वाला भी आरक्षण की कोई योजना बना लें।
दुख भोगने की आयु सीमा निश्चित करा दें।।
बालिग होने तक किसी भी बच्चे कोई दुख न हो।
उसके बाद अपने करमों के अनुसार काम हो।।
हे प्रभु। आप कहे तो इसके लिए कोई धरना दिया जाये।
या नतमस्तक हो आपसे विनती की जाये।।
कि यह आरक्षण लागू हो जाए।
और इस जहां से दुख दूर हो जाए।
और यह जहां जन्नत हो जाए।।
 

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