Sunday, 4 March 2018

बोलड या मोलड (Bold or Mold)

          बोलड या मोलड (Bold or Mold) 

     जब मैं छोटी थी मैंने अपनी माँ और उनकी सहेली जो उनसे उमृ में काफी बड़ी थी बातें करते सुना- मेरी माँ कह रही थी कि बेटियाँ इतनी प्यारी होती हैं, इतना ध्यान रखती हैं तो फिर भी लोग बेटी पैदा होने पर डरते व नाखुश क्यों होते है. उन्होंने कहा- इंदिरा (मेरी माँ का नाम) बेटियों से लोग नहीं डरते बल्कि उनकी किस्मत से डरते हैं कि कल को शादी के बाद वह दूसरे घर जाएगी उसका ससुराल कैसा होगा, उसका पति कैसा होगा, गलती करने पर उसे ताने मिलेंगे या प्यार से समझाया जाएगा? यह सब बातें हैं जो बेटी पैदा होने के साथ शुरू हो जाती हैं. तब मैं छोटी थी मैंने इन बातों को सुना और अपने काम में लग गई. परंतु वह बात इतनी गहरी थी कि आज तक मुझे याद रही.
      समय बीतता गया मैं बड़ी हो गई फिर एक जगह मैंने पढ़ा कि “गरीब पैदा होना किस्मत हो सकती है,  पर गरीब मरना किस्मत नहीं होती है”. वो तुम्हारी नाकामी व आलस होता है, मेहनत की कमी होती है.
     यही बात रिश्तों पर भी लागू होती है. जीवन के हर स्तर पर कई रिश्ते बनते हैं. सबसे बड़ा रिश्ता शादी के बाद शुरू होता है, पराये लोगों को अपनाने का. उस वक्त भी हम इन्हें निभा सकते हैं मान लो नये लोग हम से अलग तरीके के हो तो यह हमारी किस्मत हो सकती है पर सारी उमृ हम ऐसे या उनकी हर बात चाहे सही हो या गलत मानकर नहीं चल सकते. हमें इस स्थिति को बोलड और मोलड होकर संभालना चाहिए.
     हमें गलत चीज़ो के लिये बोलड होकर उसका सामना करना चाहिए ताकि अगले को पता चले कि हम गलत बात को नहीं मान सकते हैं.
    और कई बार, कई बातें गलत नहीं होती लेकिन हमारे लिए नई होती है उन बातों में मोलड होकर उन बातों को मान लेना चाहिए.
      बोलड और मोलड ये मूलमंत्र है जीवन में अवसर के अनुसार कभी बोलड होकर या कभी मोलड होकर, हम अपना जीवन सुखमय तरीके से बिता सकते हैं.

     

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