Sunday, 25 March 2018

माँ-बाप बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त

माँ-बाप बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त।



      माँ-बाप का कर्तव्य निभाना शुरू से ही काफी मुशकिल रहा हैं।  इस कर्तव्य का पालन बहुत सोच-समझ कर करना पड़ता हैं। बच्चों को पालने के तरीके में पहले से अब तक के समय में काफी बदलाव आए हैं। आज हर वर्ग के बच्चे को अपने माँ-बाप में, माँ-बाप वाला प्यार तो चाहिये ही साथ ही एक अच्छा दोस्त का साथ भी चाहिए।
      अभी हाल ही में एक घटना समाचार में आ रही है कि १६ साल की, कक्षा 9 की छात्रा ने अपने घर में आत्महत्या कर ली और जब कारणों का पता चला तो सोच कर बहुत दुख और अफसोस हुआ।  सबसे बड़ी बात यह कि इस घटना में गलती किसकी थी और सजा किसे मिली। इस सारी घटना में गलत उस बच्ची के साथ हुआ और सजा भी उसे और उसके घरवालों को मिली और जो गुनहगार था उसे कोई फर्क नहीं पड़ा।
      इस घटना का कारण यह था कि स्कूल में टीचर उससे छेड़छाड़ करते थे और वह एक बार पहले भी फेल हो चुकी थी। जो टीचर उसे परेशान करते थे वह उसे धमकी दिया करते थे कि अगर उसने किसी को बताया तो उसे फेल कर देंगें। उस बच्चे के माँ-बाप ने स्कूल में शिकायत भी की परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिणाम क्या  हुआ उस बच्ची ने आत्महत्या कर ली। अब उन गुनहगारों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई गई है।
     काश यह रिपोर्ट पहले लिखवाई जाती तो वह बच्ची जीवित होती। आखिर क्यों ऐसे मामलों में लोग जल्दी कार्यवाही नहीं करते। क्यों डरते व यह सोचते रहते है कि लोग क्या कहेंगे। डरने की बात बिलकुल नहीं होती ऐसे मामलों में। क्योंकि गलत वो होता है जो गलत करता है, वो नहीं जिसके साथ गलत हो रहा हो।
      इस सारी घटना में सबसे बड़ी गलती स्कूल प्रशासन की है अगर वो समय रहते उन गुनहगारों को सजा देता तो उस बच्ची की जान न जाती। उसे भी लगता कि वह गलत नहीं है। इंसान इतना बड़ा कदम तभी उठाता है जब वह हताश हो जाता हैं। और जब उसे लगता है कोई उसके साथ नहीं हैं।
     आज यह एक अकेली घटना नहीं है। अभी हाल ही में JNU के एक पृरोफेसर के खिलाफ भी यौन-उतपीड़न का मामला सामने आया हैं। यह सब देखकर तो ऐसा लगता है कि आज के शिक्षा संस्थान भी बच्चों खासकर लड़कियों के लिये सुरक्षित नहीं हैं।
   बड़ी ही शर्मनाक बात है कि विधालय,  जो विधा का मंदिर होता है वहाँ यह काम होता है। गुरू-शिषय का रिश्ता कितना पवित्र व सम्मानजनक होता है। पर आज के समय में इसका कितना बुरा हाल होता जा रहा है। जरा सोचिए उन बच्चों के बारे में जो इन मुश्किलों  को झेलते है, सोचिए वह कितने मानसिक तनाव से निकलते हैं। किसी से कुछ कह नहीं सकते। कहेंगे तो कोई भी उनकी बातों पर विश्वास नहीं करेगा। साथ ही अलग से डाँट पड़ेगी।
     ऐसे मामलों में अधिकतर यही होता है कि बच्चे पहले तो झिझक और डर के मारे कुछ कहते नहीं, जब कहते है तो कोई उन पर विश्वास नहीं करता। जिस कारण बच्चे अंदर ही अंदर दबते रहते है। जिसका फायदा वह गलत लोग उठाते हैं।
    मेरा सभी माता-पिता से निवेदन है कि वह अपने बच्चों के माँ-बाप बनने के साथ-साथ अच्छे दोस्त भी बने।
     ऐसा क्यों होता है कि जो बात माँ-बाप को पता नहीं होती वह बात उनके दोस्तों को पता होती हैं। क्योंकि वहाँ उन्हें कोई डर नहीं होता हैं।
   यहाँ कुछ बातें सब माता-पिता से कहना चाहती हूँ:-
1) सबसे पहले अपने बच्चों पर विश्वास करना शुरू करें। उन्हें गुड टच व बेड टच के बारे में बताऐं। क्योंकि अकसर यह होता है कि माँ-बाप बच्चों की बात पर विश्वास नहीं करते, उन्हें डाँटकर चुप करवा देते हैं, जो कि गलत हैं।
2) मेरा यह सवाल उन सब माता-पिता से है कि वह कैसे किसी गैर पर विश्वास कर लेते हैं और अपने बच्चों की बातों पर नहीं करते। आजकल सभी बच्चों को यह समझ आ गई है कि कौन उन्हें कैसे छूता है, कैसे देखता हैं।
3) जब कभी आपका बच्चा स्कूल जाने से आना-कानी करें तो उससे प्यार से पूछें कि वह क्यों नहीं जाना चाहता। कई बार सिर्फ पढ़ाई कारण नहीं होता, कोई और कारण भी हो सकता हैं।
4) अगर आपका बच्चा ऐसा कुछ बताता है तो तुरंत इस पर कार्यवाही करें। बच्चे के स्कूल जाकर शिकायत करें। इससे गलत करने वाले को भी डर रहेगा, और स्कूल को भी पता चलेगा कि उनके स्कूल में क्या हो रहा हैं। और अगर वह किसी रिश्तेदार के बारे में भी ऐसा कुछ बताता है तो उसकी बातों पर विश्वास करें। और उसका आना-जाना अपने घर बंद कर दें।
5) बच्चों को समझाऐ कि वह किसी से डरे नहीं, कोई भी कुछ नहीं कर सकता है।
6) स्कूल की टीचर को भी यह समझना चाहिए कि अगर कोई बच्चा ऐसी शिकायत लेकर आता है तो उस पर तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए। हो सके तो ऐसे स्टाफ को हटा दिया जाए।
7) छोटे बच्चे जब कहीं भी बाहर से आऐ तो प्यार से पूछे कि कोई उन्हें गलत टच तो नहीं करता, अगर कोई ऐसा करता हैं तो आ कर बताऐं।
8) अब बात करते है बड़े बच्चों की। उनसे सीधे मगर प्यार से सारी बात पूछें कि कोई उन्हें इस तरीके से परेशान तो नहीं करता। और उन्हें विश्वास दिलाऐं। कि वह हर स्थिति में उनके साथ हैं।


सबसे काम की बात सभी आयु के बच्चों के लिए कि अगर कोई गलत हरकत उनके साथ होती है तो उसमें अपने आप को गलत न समझे। क्योंकि गलत वो होता है जो गलत करता है, वह नहीं जिसके साथ गलत होता हैं। आकर सब बातें अपनी माँ से व घरवालों को बताऐं।

   बच्चों ऐसी स्थिति में आप लोगों की कोई गलती नहीं होती। पर अपने माँ-बाप को हर बात आकर बताऐं। डरे नहीं।

                                 


       

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