एक सर्द रात थी 16 दिसम्बर 2012 की।
एक लड़की, एक लड़का थे।।
एक तरफ छह इंसान रूपी दरिंदें थे।
हुआ कुछ ऐसा उस रात, इन आठों की जिंदगी बदल गई।।
किसी को मिला दर्द, किसी को मज़ा मिला।
किसी ने की ऐश, किसी का अंदर तक ज़िस्म छिला।।
हुआ कुछ ऐसा उस रात घिनौना।
उस लड़की को बनाया उन दरिंदो ने अपनी हवस का निशाना।।
किया दुष्कर्म उस अबला नारी के साथ।
दर्द व खौफ में बीती उसकी रात।।
दूसरी ओर उन कमीनों ने पूरी-पूरी ऐश बनाई।
जख्मी किया उसे इस दरिंदगी से, कि इंसानियत भी शरमाई।।
ऊपर वाले ने भी उस रात सोचा होगा।
कि काश मैंने इन छहों को इंसान न बनाया होता।।
काश इन्हें इस जहां में, धरती पर न लाया होता।
हुआ उस रात कुछ ऐसा कि सारा देश हिल गया।।
और आज 2020 चल रहा है।
उस बेटी को आज तक इंसाफ मिल रहा है।।
उन अपराधियों और फांसी के बीच चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है।
हर बार उनकी फांसी टलती है, हर बार उस मां की उम्मीद टूटती है।।
कमाल के हैं वो लोग जो उनकी जिंदगी का एक-एक दिन बढ़ा रहे हैं।
उन्हें उनकी मौत से दूर ले जा रहे हैं।।
आखिर क्या है वह लोग, क्या वो किसी के भाई, बाप, बेटे या पति नहीं है।
या उन्हें किसी कि बेटी के दर्द का एहसास नहीं है।।
काश उस बेटी को भी ऐसा कोई मिला होता।
जो उसे भी उस दर्द भरे 15 दिनों से उबार लेता।।
उसकी जिंदगी के भी दिन बढ़ा देता।
पर ऐसा नहीं हुआ।
15 दिनों में ही उसका सामना उसकी मौत से हुआ।।
कुछ लोग कहते है कि बलात्कार का कारण।
न छोटे कपड़े है, न ही आने जाने का समय।।
क्योंकि एक छोटी बच्ची क्या गुनाह करती है।
एक बुजुर्ग महिला क्या गलत करती है।
बख्शा तो 5 महीने की बच्ची को भी नहीं जाता।
तो हमारे कपड़ों और आने जाने पर क्यों सवाल उठाया जाता।
सीधा सा जवाब है यारो गलती यहां सजा की है।
जब तक इन अपराधियों को फांसी से बचाया जाएगा।
जब तक कानून की आड़ में इन्हें छुपाया जाएगा।
तब तक न तो ऐसे लोगों के लिए कोई सबक बनेगा न मिसाल।
काश इन्हें भी हैदराबाद की तरह जल्द ही मौत की सजा मिली होती।
तो यह भी सारे देश के लिए सबक होती।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
क्योंकि हुआ था जिसके साथ बुरा
वो तो मौत की नींद सो गई।
और जो गुनहगार थे, उन्हें कहने को फांसी की सजा हो गई।
काश अगली बार यह सजा न टले।
उन गुनहगारों को उनके किये की सजा मिले।
काश इस देश के लिए एक सबक बने।
कुछ लोग कहते है कि बलात्कार का कारण।
न छोटे कपड़े है, न ही आने जाने का समय।।
क्योंकि एक छोटी बच्ची क्या गुनाह करती है।
एक बुजुर्ग महिला क्या गलत करती है।
बख्शा तो 5 महीने की बच्ची को भी नहीं जाता।
तो हमारे कपड़ों और आने जाने पर क्यों सवाल उठाया जाता।
सीधा सा जवाब है यारो गलती यहां सजा की है।
जब तक इन अपराधियों को फांसी से बचाया जाएगा।
जब तक कानून की आड़ में इन्हें छुपाया जाएगा।
तब तक न तो ऐसे लोगों के लिए कोई सबक बनेगा न मिसाल।
काश इन्हें भी हैदराबाद की तरह जल्द ही मौत की सजा मिली होती।
तो यह भी सारे देश के लिए सबक होती।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
क्योंकि हुआ था जिसके साथ बुरा
वो तो मौत की नींद सो गई।
और जो गुनहगार थे, उन्हें कहने को फांसी की सजा हो गई।
काश अगली बार यह सजा न टले।
उन गुनहगारों को उनके किये की सजा मिले।
काश इस देश के लिए एक सबक बने।
V. Nice
ReplyDeleteBrilliant
Thanks a lot
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