Sunday 2 February 2020

आखिर कब होगा इंसाफ?

       आज मैंने फिर आज की ताजा ख़बरों पर नज़र डाली। हैरानी हुई देखकर कि निर्भया केस पर कोई news नहीं है। कल, परसों तक आ रहा था कि उसके दोषियों कि फांसी की सजा की तारीख आगे कर दी गई है। किसी अपराधी ने क्षमा याचिका डाली जो कि रद्द कर दी गईं। और हैरानी की बात यह है कि यह तमाशा एक बार से ज्यादा बार हो चुका है। You tubeके माध्यम से पता चला कि दोषियों की मां उनके लिए दया की भीख मांग रही है। फांसी की तारीख टलने पर वकील के पैर छू रही है। माना की वह मां है, मां की भावनाओं का हम सब सम्मान करते हैं। पर यह भी नहीं भूला नहीं जा सकता कि यहां एक और मां भी है जो अपनी बच्ची के लिए सालों से इंसाफ का इंतजार कर रही है।
          आप सब को याद होगा वह 16 दिसम्बर 2012 की भंयकर रात, जब निर्भया के साथ एक चलती बस में बड़े ही गंदे तरीके से गैंगरेप हुआ। और बड़े ही वहशी तरीके के साथ उसके साथ दंरंदगी के साथ उसे मार कर बिना कपड़ों के चलती बस से नीचे फेंक दिया गया था। वह एक दिल दहला देने वाली घटना थी। जिसने सारे भारत को हिला दिया था। सारा देश उसे इंसाफ दिलाने के लिए उन सर्द रातों में सड़कों पर उतर आया था।
         यह घटना मैं दोबारा याद नहीं कराना चाहती थी। पर क्या किया जाए। आज उस निर्मम घटना को हुए, हुए भी 8 साल हो गए हैं। और इंसाफ के नाम पर दोषियों को फांसी की सजा तो जरूर सुनाई गई पर उनकी फांसी जो 22 जनवरी 2020 से टल रही है, आज 2 फरवरी हो गई है अभी तक नहीं हुई। आखिर यह देर क्यों हो रही है?  इसका कारण क्या है।

      आज मेरा यह लेख लिखने के पीछे कारण उस दुख भरी रात को याद करके दुखी होने का नहीं है, बल्कि यह याद दिलाना है कि वह बहुत बड़ा गुनाह हुआ था जिसका इंसाफ कहने को तो हो गया परन्तु वास्तव में नहीं हुआ।

    आज उन दोषियों की मां उनके लिए जीवन दान मांग रही है। अपना दर्द वो बयां रही है, उससे पूछो कि उसका दर्द, उस लड़की के दर्द से ज्यादा है जो कि 16 तारिख से 31 तारीख तक  हर पल अपने छलनी हुए शरीर के दर्द को बर्दाश्त कर रही थी। उस मां से पूछो जिसने अपनी आंखों के सामने अपने जिगर के टुकड़े को 15 दिनों तक तड़पता हुआ देखा। और बाद में खो दिया। और देश के हर नागरिक के दर्द से ज्यादा है जो उसकी आवाज बनकर इंसाफ की मांग करते रहे। नहीं, बिल्कुल नहीं है। और वो दोषी जो उस दिन से आज तक जिंदा है, क्या वह इस दर्द का एहसास कर सकते हैं। नहीं कर सकते। 16 तारिख को जो उन दरिंदों और उस मासूम के बीच हुआ, उसका भुगतान किसे क्या करना पड़ा सबके आगे हैं। वो मासूम 15 दिनों में ही अपनी जिंदगी से लड़ती हुई मर गई। और वो बेशर्म दरिंदें, जो आज भी अपने किये पर शर्मिंदा नहीं है, जिंदा है।
      मेरा मानना है कि उन दोषियों के परिवार वालों को, मां-बहनों को आराम से बैठ कर उस दिन जो हुआ, एक-एक घटना, और उस मासूम ने जो 15 दिन पीड़ा में निकाले सब बताओं, और उनसे पूछो कि क्या उन्हें ऐसे बेटे, भाई चाहिए।जो दूसरों की बहनों के लिए खतरा हो।

      यह काफी नहीं था कि इसके जैसा दूसरा case सामने आया। 27 नंवम्बर 2019 को डाॅ प्रियंका रेड्डी के साथ भी ऐसा ही हुआ। पहले उसका गैंगरेप किया गया फिर उसे जिंदा जृला दिया गया। यह भी एक दिल दहलाने वाली घटना थी। परंतु इसमें अच्छी तो नहीं कह सकते पर इसे सही कह सकते हैं कि उसके दोषियों को 5 दिसम्बर 2019 में ही सजा मिल गई। उन्हें एक एनकाउंटर में मार दिया गया। कई लोगों ने इसका विरोध किया।

        अब हम दोनों केसों को देखते है, एक केस में 8 साल से इंसाफ का इंतजार हो रहा है। एक केस में कुछ दिनों में ही उन दोषियों को सजा मिल गई। और लोग बहुत खुश भी हुए।
     
      मैं यह नहीं कहती कि वो ठीक था पर जो निर्भया केस में हो रहा है, वह भी ठीक नहीं है। अगर काश निर्भया केस का फैसला जल्द हो जाता तो वह एक सबक बनता, लोग ऐसा गुनाह करते हुए डरते, परंतु ऐसा नहीं हुआ।  परंतु अब भी देर नहीं हुई है अब भी चाहें तो उन दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देकर, हमारी कानून व्यवस्था एक मिसाल बनाऐ कि इस घिनौनै अपराध में माफी की कोई गुंजाइश नहीं है। और इसकी सज़ा सिर्फ और सिर्फ फांसी है।

    धन्यवाद।


आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद साथियों आपने मेरे लेख 'नारी' को बहुत सराहा। आप मेरे और भी लेख पढ़ें, आप निराश नहीं होंगे।

धन्यवाद
     
   

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