Tuesday, 22 January 2019

दहेज-एक अभिशाप।

       

         दहेज का अर्थ है- विवाह के अवसर पर वधू पक्ष का वर पक्ष को दिये जाने वाली धनराशि व उपहार। एक बात बताऐ कि उपहार इंसान अपनी इच्छानुसार देता है या तो अपनी हैसियत के अनुसार देता हैं। पंरतु यह ऐसा मौका होता है जहां इंसान अपनी हैसियत से कई ऊपर उठकर यह तोहफे देता हैं। और यह इंतजाम एक बाप करता है ताकि उसकी बेटी अपने ससुराल सुखी व खुश रह सके। दूसरे शब्दों में वह अपनी बेटी के लिए इन खुशियों को सुनिश्चत करता.है।
       यह दहेज देने की प्रथा आज की नहीं है बरसों पुरानी है। वैसे मुझे एक बात आज तक समझ नहीं आई कि लड़की के मां-बाप को दहेज देने की जरूरत क्यों पड़ती है। क्योंकि विवाह के अवसर पर वह अपनी सबसे अनमोल चीज़ का दान अथवा कन्या दान करते है। अपने ज़ीगर का टुकड़ा किसी पराये को दे देते है। और वह लड़की भी सब कुछ भूलकर उनकी सेवा करती है। घर संभालती है। फिर क्यों दहेज लेने व देने की आवश्यकता पढ़ती है। क्या यह दहेज उस नये घर के सदस्य के खर्चे के लिये होता है।
       यह दहेज न जाने अब तक कितनी ही बेटियों की बलि चढ़ा चुका है । पहले तो बहुत खबरें आती थी कि दहेज के लिए बेटियों को जिंदा जला दिया जाता था। पंरतु अब इसके खिलाफ कानून बनाए गये है जिस कारण इन घटनाओं में कमी आई है पर यह बुराई खत्म नहीं हुई है।
       पहले तो माना बेटियों को कम पढ़ाया जाता था। और बहुत कम लड़कियां ही नौकरी करती थी परंतु अब तो लड़कियों को अच्छा पढ़ाया जाता है वह अच्छी-अच्छी नौकरियां करती है अच्छा कमाती है। क्योंकि दहेज लेते समय ससुराल वालों का यही कहना होता है कि यह सब तो तुम अपनी बेटी को दे रहे हो, दमाद को दे रहे हो। अगर ऐसा है तो कम आने पर लड़कियों को परेशान क्यों किया जाता है। क्योंकि एक बेटी कभी अपने मां-बाप को परेशान नहीं करेगी। और रही लड़के की बात अगर वह कमा रहा है तो उसे कमी किस बात की।
        और अब तो शादियों को status symbol बना दिया गया है दहेज के साथ-साथ शादी में भी लाखों रुपया लगाया जाता है जो अमीर होते है उन्हें कोई फ्रक नहीं पड़ता परंतु middle class family के लिए बहुत मुशकिल हो जाता है।
* इन बातों पर रोक कैसे लग सकती है। आओ इस बारे में भी बात करते हैं। यहां मैं अपनी राय रखना चाहती हूं। यह गलत भी हो सकती है। अगर किसी को कुछ भी बुरा लगे तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं।
* यहां मैं बड़ी-बड़ी बातें नहीं करूंगी, मैं कुछ ऐसे उपाय बताने की कोशिश करूंगी जिससे इस पर नियंत्रण किया जा सकता है।
* आज तक हम इसके लिए वर पक्ष को ही दोषी मानते आए हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि अगर वधू पक्ष दहेज की मांग को न माने तो क्या वे जबरदस्ती दहेज ले लेंगे।
** दहेज किस नाम पर मांगा जाता है कि लड़के की पढ़ाई-लिखाई पर जो खर्च हुआ है।
** आप जो देंगे अपनी ही बेटी को देंगे आदि
    अब आप यह बताऐं कि क्या लड़कियों को पढ़ाया-लिखाया नहीं जाता। क्या उनकी पढ़ाई मुफ्त में हो जाती हैं।
     और जब एक कमाऊ बेटी किसी के घर बहू बनकर जाती है तो वह सारी उम्र का दहेज साथ ले जाती है और अपने पति का घर चलाने में मदद करती है।
    और हमेशा अपने अनुसार ही अपनी बेटी के लिए शादी के लिए घर ढूंढना चाहिए। ना की दहेज के रूप में उन्हें उनकी सहूलियत के अनुसार चीजे देना चाहिए।
    और एक जरूरी बात जब भी शादी के समय दहेज की मांग करें तो वहीं उन्हें मना कर देना चाहिए। और इस बात से डरना नहीं चाहिए कि रिश्ता टूट जाएगा। क्योंकि लालची लोगों के बीच अपनी बेटी नहीं भेजनी चाहिए।
 
     एक सबसे बड़ी बात हर बाप बहुत बड़ा बिजनेस मैन या साहूकार नहीं होता, पर हर बाप अपनी बेटी का विवाह किसी सेठ से कम नहीं करता। इसलिए कोई कमीपेशी नहीं निकालनी चाहिए।

   हमेशा दहेज को न कहना चाहिए, जब सब मिलकर इसे  नकारेंगे तो यह बुराई अपने आप खत्म हो जाएगी।


      

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