Sunday, 15 June 2025

"जब हम बच्चे थे, हमें नहीं समझ आता था… अब जब हम माता-पिता हैं, सब समझ आता है (व्यवहार एक आईना)"



🙏 नमस्कार दोस्तों,

    आज मैं बात करूंगी एक ऐसे विषय पर, जिससे मेरे जैसे हमउम्र लोग शायद पूरी तरह सहमत होंगे, और जो हमसे छोटे हैं, वो अभी नहीं... लेकिन आगे चलकर ज़रूर सहमत होंगे।
और ये विषय है – "व्यवहार"।

अब आप सोच सकते हैं कि इसमें क्या खास बात है?
पर यकीन मानिए, यह एक बहुत गहराई वाला और मजेदार विषय है, और आज मैं इसे अपने अनुभवों के आधार पर आपसे साझा कर रही हूं।

अगर आप मेरी बातों से असहमत हों, तो आपका नजरिया भी पूरा सम्माननीय है – लेकिन कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताइएगा।

👨‍👩‍👧 जब बचपन में हम नहीं समझते थे...
    आपने कई बार स्कूलों, बाजारों या अन्य जगहों पर देखा होगा – जब माता-पिता अपना व्यवहार के अनुसार कुछ कह रहे होते हैं, तो उनके बच्चे उन्हें चुप करवाते हैं या शर्मिंदगी महसूस करते हैं।

मुझे याद है जब मैं 13–14 साल की थी, तो अक्सर लगता था –
"हर वक्त कोई न कोई काम! कभी तो आराम करने दो।"

उस समय हमें ये नहीं पता होता था कि:

हमारी अनदेखी और पलट कर जवाब देना, हमारे माता-पिता को कितना चुभता है।

👀 अब जब हम उनकी जगह हैं…
   अब जब खुद बच्चों की परवरिश कर रहे हैं, तब समझ आता है कि:

किसी बात को अनसुना करना,

बात का उल्टा जवाब देना,

या हर बात पर बहस करना…
दिल पर नश्तर जैसा लगता है।

एक और मजेदार बात –
बचपन में जब हम बाजार जाते थे और माता-पिता दुकानदार से मोलभाव करते थे, तो हम शर्म से चुप करवाने की कोशिश करते थे।
आज जब खुद सामान खरीदते हैं और कोई दोगुनी कीमत मांगे… तो गुस्से में आवाज़ तेज हो ही जाती है।

क्योंकि अब समझ आता है –
"पैसे की अहमियत क्या होती है!"


💡 अब सीख यही है:
   अपने माता-पिता की बात को कभी अनसुना न करें।
कभी पलट कर जवाब न दें।
कभी उनकी आवाज़ या बर्ताव पर शर्मिंदा न हों।

क्योंकि एक दिन जब आप उन्हीं की जगह होंगे…
तो यही सब लौटकर आपके पास आएगा।


🙏 अंत में…
  मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि:
मां-बाप की इज्जत करना एक संस्कार है,
जो हम जितना जल्दी सीख लें, उतना बेहतर।

अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो कमेंट ज़रूर कीजिए।
और अगर नहीं भी पसंद आया हो, तब भी अपनी राय साझा करें –
क्योंकि हर विचार का स्वागत है।

आपका हार्दिक धन्यवाद!
💐











Tuesday, 27 May 2025

आज के युवाओं के रिश्ते – क्या ये सच्चा प्यार है या सिर्फ वैलिडेशन की तलाश? | Modern Dating vs Indian Values

 आज के युवाओं के रिश्ते – प्यार या वैलिडेशन?

आज का युवा वर्ग प्यार और रिश्तों को नए नज़रिए से देख रहा है। एक तरफ़ है सोशल मीडिया का प्रभाव, और दूसरी तरफ़ है पारंपरिक संस्कारों की छाया। सवाल यह है – क्या ये रिश्ते सच्चे प्रेम पर आधारित हैं या सिर्फ एक-दूसरे से वैलिडेशन पाने की लालसा?


सोशल मीडिया और वैलिडेशन का असर

आज के दौर में Instagram, Snapchat और Tinder जैसे प्लेटफॉर्म्स ने रिश्तों की परिभाषा ही बदल दी है। 

* लोग अब रिश्तों को एक "स्टेटस सिंबल" की तरह देखने लगे हैं।

* कपल फोटोज, स्टोरीज, और रील्स के ज़रिए अपने रिश्तों का दिखावा करना आम हो गया है।

* कई बार यह प्यार नहीं बल्कि attention और validation पाने का तरीका बन जाता है।

वैलिडेशन बनाम असली प्यार – पहचान कैसे करें?

असली प्यार (True Love) वैलिडेशन की चाह (Validation)

👉असली प्यार (True Love) - आपसी समझ और भावनात्मक जुड़ाव

👉वैलिडेशन की चाह (Validation) - दूसरों को दिखाने की ज़रूरत

👉असली प्यार- समय के साथ गहराता है

 👉वैलिडेशन की चाह (Validation)  - चंद लाइक्स से तसल्ली मिलती है

👉असली प्यार - भरोसा, समर्थन और समर्पण

👉 वैलिडेशन की चाह (Validation) - असुरक्षा, जलन और तुलना

      अगर रिश्ता आपको आंतरिक संतोष देता है, तो वो प्यार है। लेकिन अगर आप सिर्फ सोशल मीडिया पर दिखावे के लिए रिश्ते में हैं, तो यह सिर्फ वैलिडेशन है।

मॉडर्न डेटिंग कल्चर बनाम पारंपरिक भारतीय मूल्य – एक तुलनात्मक दृष्टिकोण

पारंपरिक भारतीय मूल्य (Traditional Indian Values)

* भारत में रिश्ते केवल दो लोगों के बीच नहीं होते, बल्कि यह दो परिवारों की साझेदारी होते हैं।

* परिवार की पसंद और राय को अहमियत दी जाती है।

* धैर्य, त्याग, और समझदारी को रिश्ते की नींव माना जाता है।

* शादी को एक पवित्र बंधन समझा जाता है, जिसमें स्थायित्व सर्वोपरि है।

मॉडर्न डेटिंग कल्चर (Modern Dating Culture)

* आज के समय में युवा रिश्तों को लेकर अधिक स्वतंत्र हैं।

* अपने पार्टनर को खुद चुनने की आज़ादी है।

* डेटिंग ऐप्स ने विकल्पों की भरमार कर दी है।

     बहुत से रिश्ते केवल कुछ हफ्तों या महीनों तक ही चलते हैं – जिसे आज की भाषा में "situationship" भी कहते हैं।


मुख्य अंतर – एक नजर में

पारंपरिक मूल्य बनाम मॉडर्न डेटिंग

रिश्ता कैसे शुरू होता है

परिवार की भूमिका से। 

स्वयं की पसंद से

रिश्ता कितना गहरा होता है

दीर्घकालिक सोच

तात्कालिक अनुभव

समाज का प्रभाव

समाज-परिवार का दबाव

स्वतंत्रता और निजता

प्रेम की परिभाषा

त्याग और समर्पण

आत्म-संतुष्टि और आकर्षण

क्या दोनों के बीच संतुलन संभव है?

👉बिलकुल। आज का युवा अगर चाहे तो दोनों सोचों का बेहतर तालमेल बिठा सकता है:

👉पार्टनर चुनने में स्वतंत्रता रखते हुए भी पारिवारिक मूल्यों का सम्मान किया जा सकता है।

👉सोशल मीडिया पर रिश्ते दिखाने से ज़्यादा जरूरी है इमोशनल कनेक्शन को समझना।

👉सच्चे रिश्ते में भरोसा, संवाद और साथ की भावना होनी चाहिए – ना कि केवल ट्रेंड्स की नकल।


     अंत में यही कहना चाहूंगी कि  प्यार, दिखावा नहीं है। आज के युवा भावनात्मक रूप से जागरूक हैं लेकिन अक्सर ट्रेंड्स की दुनिया में खो जाते हैं। प्यार अगर सच्चा हो, तो उसे सोशल मीडिया की मोहर नहीं चाहिए। वहीं, पारंपरिक मूल्यों में जो स्थायित्व और गहराई है, वो आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।



Friday, 23 May 2025

पीढ़ियों का अंतर (Generation Gap)और मानसिकता: समझ, समाधान और सामंजस्य की ओर

 



नमस्कार दोस्तों,

       आज मैं अपने लेख के द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण समस्या और उसके समाधान के बारे में बात करने जा रही हूं और वह है "पीढ़ियों का अंतर और मानसिकता: समझ, समाधान और सामंजस्य की ओर" यानी की Generation Gap". 

     समय के साथ हर पीढ़ी की सोच, दृष्टिकोण और जीवनशैली में फर्क आना स्वाभाविक है। इस फर्क को ही "Generational Gap" कहा जाता है। यह सिर्फ उम्र का अंतर नहीं, बल्कि अनुभव, सोच और मानसिकता का टकराव भी है। इस लेख में हम समझेंगे कि यह अंतर क्यों होता है, इसके प्रभाव क्या हैं, और कैसे हम इसे पाटकर एक सकारात्मक समाज की ओर बढ़ सकते हैं।

1. पीढ़ियों का अंतर क्या है?

हर 15-20 वर्षों में एक नई पीढ़ी सामने आती है, जो अपने अनुभवों, तकनीकी समझ और जीवनशैली के अनुसार सोचती है।

🔶️ उदाहरण:

🔸️पुरानी पीढ़ी अनुशासन और परंपरा में विश्वास रखती है।

🔸️नई पीढ़ी स्वतंत्रता और नये विचारों की पक्षधर है।


2. मानसिकता में यह अंतर क्यों आता है?

🔸️तकनीकी विकास: स्मार्टफोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया ने सोचने का तरीका बदल दिया है।

🔸️परिवारिक बदलाव: संयुक्त परिवार से एकल परिवारों की ओर रुझान।

🔸️शिक्षा और एक्सपोज़र: आज की पीढ़ी ज्यादा जागरूक और स्वतंत्र है।


3. Generational Gap के प्रभाव

🔶️ सकारात्मक:

🔸️अनुभव और नई सोच का मेल।

🔸️सामाजिक संतुलन की संभावनाएं।


🔶️ नकारात्मक:

🔸️संवाद की कमी और संघर्ष।

🔸️आपसी अपेक्षाओं में विरोध।


     अब हम यह समझने की कोशिश  करते है कि इस अंतर को कैसे खत्म किया जा सकता है:-

1. सुनना और समझना सीखें :-

जब हम एक-दूसरे की बातों को खुलकर और ध्यान से सुनते हैं, तो सोचने की प्रक्रिया में समानता आने लगती है। इससे गलतफहमियां कम होती हैं और रिश्ता मज़बूत बनता है।


2. सम्मान और सहिष्णुता बढ़ाएं :-

हर पीढ़ी की सोच, मूल्य और अनुभव का आदर करना ज़रूरी है। इससे दोनों ओर विश्वास कायम होता है और संघर्ष की जगह सहयोग बढ़ता है।


3. तकनीक और परंपरा का संतुलन बनाए रखें :-

नई पीढ़ी तकनीक से जुड़ी है तो पुरानी पीढ़ी मूल्यों और परंपराओं से। जब दोनों मिलकर काम करते हैं, तो एक बेहतर और संतुलित वातावरण बनता है।


4. संवाद को प्राथमिकता दें :-

खुलकर और नियमित संवाद से दोनों पक्ष अपनी भावनाएं और विचार साझा कर सकते हैं। इससे विचारों में टकराव की जगह समझदारी आती है।


      और अंत में, मैं यही कहना चाहूंगी कि Generational Gap कोई समस्या नहीं, बल्कि एक अवसर है—एक-दूसरे से सीखने और समाज को बेहतर बनाने का। यदि हम सहिष्णुता, संवाद और समझ का रास्ता अपनाएं, तो यह दूरी नज़दीकी में बदल सकती है।



      

Wednesday, 21 May 2025

चिलचिलाती गर्मी से बचने के आसान और बजट में उपाय (शुगर पेशंट्स के लिए विशेष सुझाव)


नमस्कार दोस्तों

      आज हम बात करेंगे चिलचिलाती गरमी की। यहां मैं कुछ उपाय बताना चाहती हूं उनके लिए जो चिलचिलाती गरमी में बाहर जाते है बजट में शुगर पेशंट को भी ध्यान में रखकर मैं कुछ उपाय बताने जा रही हूं।

    चिलचिलाती गर्मी में बाहर निकलना सच में चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर उन लोगों के लिए जो शुगर (डायबिटीज़) के मरीज हैं। 


चिलचिलाती गर्मी से बचने के आसान और बजट में उपाय (शुगर पेशंट्स के लिए विशेष सुझाव)

     गर्मी का मौसम जहाँ आम जनजीवन को प्रभावित करता है, वहीं डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए ये समय और भी संवेदनशील होता है। यदि आप बजट में रहते हुए बाहर काम पर जाते हैं या घूमने निकलते हैं, तो ये उपाय आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकते हैं।


1. पानी ही जीवन है – हाइड्रेटेड रहें

दिन में 8–10 गिलास सादा पानी पिएं।

बाहर जाते समय स्टील या BPA-फ्री बोतल में ठंडा पानी साथ रखें।

ग्लूकोज ड्रिंक या मीठी बोतलें अवॉइड करें, खासकर शुगर पेशंट्स के लिए।


2. नींबू पानी – लेकिन बिना चीनी के

एक नींबू का रस, चुटकी भर काला नमक और पुदीने की पत्तियाँ – बना एक बढ़िया डायबिटिक फ्रेंडली एनर्जी ड्रिंक।

इसमें न चीनी है, न कैलोरी – और बजट में भी।


3. सही कपड़े पहनें

हल्के, सूती और ढीले कपड़े पहनें।

सफेद या हल्के रंगों के कपड़े सूरज की रोशनी को कम अवशोषित करते हैं।

सिर पर गमछा, कैप या छाता ज़रूर रखें।


4. खाना हल्का और संतुलित रखें

बाहर जाते समय भारी, मसालेदार भोजन से बचें।

उबले चने, मूंग, सलाद, दही – ये सब ठंडक देने वाले, सस्ते और शुगर के अनुकूल होते हैं।


5. फल खाएँ – लेकिन सीमित मात्रा में

तरबूज, खीरा, पपीता और अमरूद जैसे फल चुनें जो शुगर कंट्रोल में रखते हैं और शरीर को ठंडक देते हैं।

केला, आम, लीची जैसे फल शुगर के मरीज कम खाएं या डॉक्टर से सलाह लें।


6. सस्ते होममेड ठंडक देने वाले उपाय

पुदीना पानी – उबाले हुए पानी में पुदीने की पत्तियाँ डालकर ठंडा करें।

सौंफ का शरबत – सौंफ भिगोकर छान लें, इसमें बर्फ डालकर पिएं (बिना शक्कर)।


7. धूप से बचने के लिए सही समय चुनें

कोशिश करें कि सुबह 10 बजे से पहले और शाम 5 बजे के बाद बाहर निकलें।

अगर ज़रूरी हो तो धूप में चलने की बजाय छायादार रास्ता चुनें।


8. ब्लड शुगर की निगरानी

गर्मी में शरीर डिहाइड्रेट होता है जिससे ब्लड शुगर फ्लक्चुएट कर सकता है।

अगर बाहर जा रहे हैं तो ग्लूकोमीटर और कुछ हल्का स्नैक साथ रखें।


       निष्कर्ष यही है कि गर्मी से बचाव मुश्किल नहीं है अगर आप थोड़ी समझदारी और प्लानिंग से काम लें। शुगर पेशंट्स को चाहिए कि पानी पीते रहें, हल्का खाएं और खुद को ज़्यादा थकने से बचाएं। आप भी इन आसान उपायों को अपनाकर गर्मी का मज़ा सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से ले सकते हैं।

Thursday, 15 May 2025

मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव: एक अदृश्य जंग



नमस्कार दोस्तों

      आज मैं आपके सामने एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर एक ब्लॉग लिख रही हूं और वह विषय है "मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबाव: एक अदृश्य जंग"

     आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में हम सब एक अनदेखी दौड़ का हिस्सा बन चुके हैं। यह दौड़ है सामाजिक अपेक्षाओं, सफलता के मापदंडों और दिखावे की दुनिया की है। इस सबके बीच, जो चीज़ सबसे ज्यादा नज़र अंदाज होती है – वह है मानसिक स्वास्थ्य।


     मानसिक स्वास्थ्य का तात्पर्य केवल “पागलपन” से नहीं है, जैसा कि अक्सर हमारे समाज में गलतफहमी होती है। यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और निर्णय लेने की क्षमता से जुड़ा होता है। और इस पर सबसे बड़ा प्रभाव डालता है – सामाजिक दबाव।


आखिर सामाजिक दबाव है क्या?

सामाजिक दबाव (Social Pressure) उस अदृश्य शक्ति का नाम है जो हमें समाज की "उम्मीदों" और "मानकों" के अनुसार जीने को मजबूर करता है। यह दबाव कई रूपों में हो सकता है:


* अच्छे अंक लाने का दबाव

* सफल” करियर चुनने का दबाव

* शादी या जीवनशैली को लेकर समाज की अपेक्षाएँ

* सोशल मीडिया पर "परफेक्ट" ज़िंदगी दिखाने की होड़

यह दबाव धीरे-धीरे हमारे आत्मसम्मान और मानसिक शांति को खा जाता है।


और इस दबाव का मानसिक स्वास्थ्य पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ता है जैसे :- 

* तनाव और चिंता (Stress & Anxiety):

लगातार तुलना और असफलता का डर व्यक्ति को चिंतित बना देता है।


* अवसाद (Depression):

जब हम अपनी असल पहचान खो बैठते हैं और हमेशा दूसरों को खुश करने की कोशिश करते हैं, तो यह हमें अंदर से खोखला कर देता है।


* खुद पर शक (Self-doubt):

"क्या मैं पर्याप्त अच्छा हूं?" जैसे सवाल मन में घर कर जाते हैं।


* एकाकीपन (Loneliness):

लोग भीड़ में होते हुए भी खुद को अकेला महसूस करते हैं, क्योंकि वे अपने असली रूप में नहीं जी पा रहे।


ऐसा नहीं है कि इन समस्याओ का कोई  समाधान नहीं है समाधान है इनका जैसे कि :- 

स्वीकृति (Acceptance):-

सबसे पहले खुद को स्वीकार करें। हर इंसान की यात्रा अलग होती है।


खुले दिल से संवाद करें (Open Conversations):-

अपनी भावनाओं को छुपाने की बजाय किसी भरोसेमंद व्यक्ति से साझा करें।


सोशल मीडिया डिटॉक्स करें:-

कभी-कभी ज़रूरी होता है "ऑफलाइन" होकर खुद से जुड़ना।


थेरेपी या काउंसलिंग लें:-

मानसिक चिकित्सक से मदद लेना कमज़ोरी नहीं, समझदारी है।

    सबसे जरूरी बात यह है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य को उसी तरह महत्व देंना चाहिए जैसे हम शरीर को देते  हैं।

      अंत में निष्कर्ष यही है कि आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ बाहरी चमक बहुत दिखती है, पर भीतर की सच्चाई अक्सर छुप जाती है। सामाजिक दबाव जितना चमकदार दिखता है, उतना ही घातक हो सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और एक ऐसा समाज बनाएं जहाँ लोग अपनी सच्ची पहचान के साथ जी सकें, ना कि दूसरों की अपेक्षाओं के बोझ तले।


आपका मन भी शरीर की तरह देखभाल माँगता है — उसे नज़रअंदाज़ न करें।


यदि यह ब्लॉग आपको पसंद आया, तो इसे ज़रूर साझा करें और एक स्वस्थ मानसिक वातावरण बनाने में योगदान दें।



Monday, 12 May 2025

जिंदगी को खूबसूरत बनाने वाले 5 छोटे-छोटे जज्बात




नमस्कार दोस्तों,
     कैसे है आप। मैंने सोचा क्यों न आज जिंदगी की बात करते है। बात करते है कि कैसे हम अपनी जिंदगी को खूबसूरत बना सकते हैं। जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए बड़े काम जरूरी नहीं, छोटी-छोटी बातें भी काम कर सकती हैं।  तो चलें बात करते हैं अपनी जिंदगी के उन 5 जज्बातों की जो आपकी जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं। 
     जिंदगी की असली ख़ूबसूरती कभी भी बहुत बड़े काम करने में नहीं होती, बल्कि उन छोटी छोटी बातों में होती है जो हम अपने रोज़ के जीवन में अपनाते हैं। छोटी छोटी चीजें, जो हमें दिखाई भी नहीं देती, वो ही हमारी जिंदगी को खुबसूरत बनाने में मदद करती हैं। आइए, हम आपको बताते हैं उन पांच जज्बातों के बारे में जो आपकी जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं।

1. शुक्रिया अदा करना (आभार) :- शुक्रिया कहना एक ऐसा जज्बा है जो हमारे दिल को शांति और खुशी देता है। हर दिन किसी भी छोटी सी चीज़ के लिए शुक्रिया कहना, जैसे दोस्तों का साथ या अच्छे दिन का होना, हमारे नज़रिये को सकारात्मक बना सकता हैं। जब हम अपने आस-पास की छोटी चीज़ों का आभार करते हैं, तो हमारी जिंदगी में खुशी और सुकून आता है।

2. दयालुता (दया)  :- दयालुता यानी किसी की मदद करना या किसी को सिर्फ एक मुस्कान देना, ये सब छोटी-छोटी दयालुताएं है जो किसी की जिंदगी में बड़ी तसल्ली का काम करती हैं। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमें भी अपनी जिंदगी और भी खूबसूरत लगती है।

3. माफ़ी करना :-  हम सबको कभी ना कभी माफ़ी देनी पड़ती है - चाहे दूसरे को या खुद को। माफ़ी ज़िन्दगी को हल्की और सुकून भरी बना देती है। अगर आप अपने दिल में पुरानी बातें रख कर चलते हैं, तो आप कभी भी जिंदगी का असली मजा नहीं ले सकते। अपने गमों को छुपाना, अपने दुखों को कबूल करना और उन्हें माफ करना एक ऐसा जज्बा है जो आपकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल सकता है।

4. आभार और सराहना (प्रशंसा) :- आभार या सराहना का जज़्बा एक दूसरे को उसके अच्छे काम के लिए सराहने में होता है। कभी-कभी हमारी एक छोटी सी सराहना किसी और के लिए पूरी दुनिया होती है। आपकी सराहना से किसी के दिन की शुरुआत अच्छी हो सकती है। जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए, जरूरी है कि हम अपने आस-पास के लोगों की मेहनत और उनके अच्छे कामों की सराहना करें।

5. स्वीकार करना  स्वीकार करना, यानी अपनी और दूसरों की कमजोरिया को स्वीकार करना, जिंदगी को और सरल और खूबसूरत बना देता है। हम सबमें खामियां हैं, लेकिन जब हम उन्हें स्वीकार करते हैं, तभी हम अपनी जिंदगी को शांति से जी पाते हैं। स्वीकृति से हम अपनी भावनाओं और स्थितियों के साथ अच्छे तरीके से deal कर सकते हैं। 

     अंत में, मैं यही कहना चाहूंगी कि जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए बड़े काम या लग्जरी चीजें जरूरी नहीं। कभी-कभी छोटी-छोटी बातें, अच्छे जज्बात और एक सकारात्मक मानसिकता जिंदगी को बेहतर बना सकती हैं। जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए इन पांच जज्बातों को अपनाएं और अपने हर दिन को खूबसूरत बनायें।


Sunday, 27 April 2025

"जब रिश्तों में कड़वाहट घुल जाए — कैसे बचाएँ खुद को"


 

नमस्कार दोस्तों,

     कैसे है आप सब? आज बहुत दिनों के बाद लिखने का मन हुआ|आज मैं जो लिखने  जा रही हूँ उसका शीर्षक है "जब रिश्तों में कड़वाहट घुल जाए — कैसे बचाएँ खुद को"

    "रिश्ते इंसानी जीवन की सबसे खूबसूरत भावना हैं, लेकिन जब इनमें कड़वाहट घुलने लगे तो समझदारी से संभालना जरूरी हो जाता है। इस लेख में हम बात करेंगे कि कैसे हम रिश्तों में आई दरार को हिंसा से नहीं, बल्कि धैर्य और समझदारी से हल कर सकते हैं।"

       यह आजकल की बहुत बड़ी समस्या है| आज रिश्तें झट बनते है पट से टूट जाते है|अगर देखा जाए तो यह सही नहीं है पर जब इसको हिंसक रूप दिया जाता है तो यह और भयानक रूप ले लेते हैं| जैसे फ्रिज कांड,(इसमें  लिव इन में रहने वाले लड़के ने अपने साथी की हत्या करके उसके टुकड़े करके फ्रिज में रखे थे )डृम कांड (इसमें  पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की और उसके टुकड़े करके सीमेंट के ड्रम में छिपाये थे)|ऐसे कई कांड है जिनका अभी हमें पता भी नहीं है|इन सब में मुख्य कारण यही सामने आया है समाचारों के अनुसार कि दोंनों में से एक अपने रिश्ते  से बाहर आना चाहता हैं लेकिन उसका मकसद पूरा नहीं हो पाता तो वो अपने साथी की निर्मम हत्या कर देता है|

यहां लिव इन रिलेशन, girlfriend boyfriend, और अब इनमें विवाहित जोड़े भी शामिल है|

* मेरा मानना यह है कि आप अगर लिव इन में है एक दूसरे को पसंद करते है काफी समय से साथ है| पहले तो इस रिश्ते को बहुत ही ईमानदारी, प्यार से निभाये और यह समझे कि आज आप अगर साथ हैं तो एक-दूसरे को आपने अपने हिसाब से चुना है यहां किसी और की ना तो भागीदारी (Involvement ) है ना ही बंदिश है| लेकिन एक दूसरे के प्रति ईमानदारी बहुत जरूरी है 

     और मान लिजिए भगवान ना करे कि कभी आपका साथी आपसे कतराने लगे, बेमतलब झगड़े हो या आप में से किसी को कभी भी शक हो कि आपका साथी आपके साथ ईमानदार नहीं है| तो इसके बारे में आपस में बैठकर समझदारी से बात करें| और आप कर सकते हो क्योंकि जब आप लिव इन में  रहने का इतना बड़ा फैसला कर सकते हो तो हिम्मत करके और अपने दिल को समझा कर (जो कि बहुत मुश्किल है ) यह भी कर सकते है बजाए कि आप एक दूसरे से लड़ाई झगड़ा करें| मैं यह मानती हूँ कि उस समय बहुत-बहुत गुस्सा आता है, दुख होता है कि जिसे आपने इतना प्यार किया जिसके लिये आप सब कुछ छोड़कर आए और वह ऐसा करे तो बहुत गुस्सा आता है दिल अंदर तक टूट जाता हैं|

      यहां यह समझना बहुत जरूरी है कि जबरदस्ती आप किसी को भी अपने जीवन में नहीं रोक सकते|इसलिए यह आवश्यक है कि अपने ऐसे साथी को पहले बहुत प्यार और समझदारी से समझाया जाए|और अगर वह फिर भी नहीं  रुकता तो उसे जाने दें|

     एक और जरूरी बात कि अगर ऐसा हो रहा है तो इसका सीधा अर्थ यह है कि अब उसके जीवन में कोई और हैं और वह आपसे अलग होना चाहता हैं|तो आप उसे जाने दें और अपने मन में यह भी ठान लें कि आप उसे अपनी जिंदगी में दोबारा नहीं आने देंगे |

      हमने लेख कि शुरूआत में जिन घटनाओं का उल्लेख किया हैं अगर उनमें यह कदम उठा लिये होते तो उन्हें इतनी दर्दनाक मौत न मिलती|

     यही बात शादीशुदा लोगों को भी ध्यान रखनी चाहिये|और जो आपको धोखा दे रहा है वह आपका अपना कभी नहीं हो सकता|

      और सबसे बड़ी बात जिंदगी बहुत अनमोल है और एक जिंदगी केवल खुद के लिए नहीं होती उस पर कई लोगों का हक होता है

     इसलिए हर फैसले में अपनी जिंदगी को सबसे पहले रखे और उन लोगों पर ध्यान दें जो आपको चाहते हैं ना कि उस पर अपनी जिंदगी बर्बाद करें जो कि आपकी बिल्कुल नहीं  सोचते |

याद रखिए, टूटे हुए रिश्ते से बाहर आना हार नहीं है, बल्कि खुद से प्यार करने की एक नई शुरुआत है। जिंदगी बहुत कीमती है — इसे सही लोगों के साथ जिएं, न कि गलत लोगों के पीछे गंवाएं।"



** यह तो थे मेरे विचार आपके क्या हैं कमेंट करके बताइये आपका इंतजार रहेगा. **


धन्यवाद  



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