नमस्कार दोस्तों,
आज मैं बात करूंगी एक ऐसे विषय पर जिस पर मेरे जो हम उम्र है वो काफी हद तक सहमत होंगे और जो हम से छोटे है वो शायद आज ना सहमत हो परंतु आगे जाकर जरूर सहमत हो जाऐंगे। और यह विषय है "व्यवहार"
अब आप सोचेंगे कि यह क्या विषय हुआ। तो मैं यह बताना चाहूंगी कि जनाब यह बहुत मजेदार विषय है। मैं जो भी लेख (Article) लिखती हूं। वो अधिकतर अपने अनुभवों के आधार पर लिखती हूं। और अगर आप में से कोई भी इस से असहमत हों, तो उसके विचार भी पूर्णतया सम्मानिय हैं। पर इस के बारे में कमेंट बॉक्स में बताईएगा जरूर।
चलो अब वापस आते हैं अपने विषय पर "व्यवहार" पर। आप लोगों ने कई बार स्कूलों, बाज़ारों, और कई जगहों पर यह नोटिस किया होगा कि जब माता-पिता बाहर कहीं पर भी अपने व्यवहार के अनुसार बात कर रहें होते हैं तो उनके बच्चे उन्हें चुप करवा रहे होते है या शर्मिंदगी महसूस कर रहे होते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि कोई और अगर सुन लेगा या देख लेगा तो क्या होगा।
इस चीज को मैं अपने उदाहरण से समझाती हूं। इसका असर तब होता हैं जब आप 13-14 साल के होने लगते हो।
बात शुरू करते है घर से, मैं जब इस उम्र में थी, मैं यह नहीं कहती कि मैं अपने बड़ो की बात नहीं मानती थी। पर कभी कभार ऐसा होता था कि हमें किसी काम के लिए कहा जाए और उसे हम अनसुनी कर दें और यह सोचें,"कि क्या हर समय काम के लिए कहते रहते है कभी आराम से बैठने नहीं देते" उस समय हम अपने आप को बड़ा दयनीय समझते थे। तब हमने नहीं सोचा था कि हमारी यह काम को लेकर लापरवाही हमारे माता-पिता को कितनी बुरी लगती होगी। हमारा किसी बात पर पलट कर जवाब दे देना उन्हें कितना दुख पहुंचाता होगा।
यह बात अब पता चलती है जब हमारे बच्चे कभी किसी काम को अनसुना करें या कभी हमें पलट कर जवाब दें तो दिल पर कैसे नश्तर चलते हैं।
और जब कभी बाहर जाना हों किसी आटोरिक्शा से या दुकानदार से मोल-भाव करते हुए जब अभिभावक की आवाज तेज हो जाती थी तो हमें बहुत शर्म आती थी और हम अपने माता-पिता को ही चुप करवाते थे।
पर यह बात अब पता चलती है कि जब उनके जगह हम और हमारी जगह हमारे बच्चे हमें धीरे बोलने की हिदायत देते है। और यह तो मेरे साथ कई बार हुआ और अब पता चला कि कैसा लगता है कि जब कोई किसी चीज के दुगने पैसे मांगें तो कितना गुस्सा आता है और आवाज (Automatically) तेज हो जाती है। क्योंकि पैसे की कदर अब पता चली है।
और अंत में, मैं यही कहना चाहूंगी कि अपने मां-बाप के किसी भी काम को अनसुना नहीं करना चाहिए और ना ही उनकी किसी बात पर शर्मिंदगी महसुस करनी चाहिए और पलट कर जवाब तो कभी भी नहीं देना चाहिए। क्योंकि जब आप इस उम्र में आओगे, और यहीं (same to same) अनुभव करोगे तब पता चलेगा कितना दुख होता हैं और अपने मां-बाप से क्षमा मांगते रह जाओगे।
इसलिए मां-बाप की हमेशा इज्जत करनी चाहिए और जो आज आप करोगे, वही आपके पास लौटकर आऐगा। यह हमेशा याद रखिएगा।
अंत मै आप सबका सहृदय धन्यवाद मेरा लेख पढ़ने के लिए।
कमेंट जरूर करियेगा अगर पंसद आए या नहीं।
आप सबका स्वागत है मेरे ब्लॉग के कमेंट बॉक्स में।
No comments:
Post a Comment