Sunday, 17 February 2019

एक सलाम पुलवामा के शहीदों के नाम

आज फिर आँख हो गई नम।
दिल की धड़कन गई थम।।
जब हमने देखा सड़क पर एक
छोटा बच्चा अपने बाप की गोद में खेल रहा था।
तो याद आ गया वो मंजर
कि पुलवामा में भी एक गोद का बच्चा
अपने पिता को अंतिम विदाई दे रहा था।

जब देखा नया सुहागन चूड़ा किसी के हाथ में।
याद आ गया वो चूड़ा जो शहीद के कफन पर रो रहा था

जब देखा एक बिटिया, अपने पिता से
जिदद कर रही थी।
याद आ गई वो बेटी जो अपने पिता को
नम आँखों से बिलख कर अंतिम जय हिंद कह रही थी।

यह मंजर है वो जब सारा जहां बना रहा था
वेलनटाईन डे।
तब हमारे कितने ही जवान शहीद हुए थे वतन पे।।

एक ओर जहां गुलाबों की लाली छाई थी।
दूसरी ओर दरिंदों ने खून की होली बनाई थी।।

आज सारा देश इस घटना का शोक बना रहा है।
जो घाव हमें मिला, उसे भूल नहीं पा रहा है।।
आज हर कलम से शहीदों के लिए दुआऐं निकल रही हैं।
क्योंकि एक नहीं सारे देश में 44 जवानों की चिताऐं जल रही हैं।।
यह चिताऐं ऐसे ही ठण्डी न हो जाए।
इसका पूरा सम्मान किया जाए।।
जो दर्द हमारे देश को मिला है।
उसका पूरा बदला लिया जाए।।

बस अब बहुत मिल लिए टेबलों पर।
अब आमने सामने की बात हो जाए।।
बहुत हो गई सरहदों पर मुलाकात।
अब ज़रा मुक्का लात हो जाए।।

जो फुलझड़ी जलाई उन कायरों ने।
उसके जवाब में शेरों वाला बड़ा धमाका किया जाए।।


2 comments:

  1. Great mam aapki poem a one hai aur aapne bahut aaccha likha hai salute to them 😥😥

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